मैहर (रियासत राज्य)
महामहिम महाराजा श्रीमंत साहेब अक्षयराज सिंह जूदेव बहादुर , मैहर के 12 वें महाराजा साहेब का जन्म 1985, 26 फरवरी 2014 को एचएच महारानी साहेब स्वर्णिम कुमारी जूदेव से शादी हुई , जो हट्टा के श्री कुंवर आदित्य वर्धन सिंहजी हजारी और स्वर्गीय श्रीमती पद्मजा राजे हजारी की बेटी हैं और उनकी एक बेटी है।
मैहर ( संगीत नगरी )
मैहर, हिंदुस्तानी संगीत की एक घराना सेनिया घराना(स्कूल या शैली) का जन्मस्थान के रूप में एक भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक प्रमुख स्थान है। भारतीय शास्त्रीय संगीत उस्ताद अलाउद्दीन खान (1972 मृत्यु हो गई) की सबसे बड़ी दिग्गज लंबे समय के लिए यहां रहते थे और मैहर के महाराजा पैलेस के दरबार संगीतकार और उसकी छात्रों श्रीमती अन्नपूर्णा देवी(अलाउद्दीन खान की बेटी) उस्ताद अली अकबर खान (अलाउद्दीन खान के पुत्र), पंडित रवि शंकर बाबा के दामाद अलाउद्दीन खान के चार पोते – उस्ताद आशीष खान, उस्ताद ध्यानेश खान , उस्ताद प्रणेश खान , अमरेश खान, बाबा की एक पोती अमीना परेरा, उस्ताद बहादुर खान (अलाउद्दीन खान के भतीजे), तिमिर बारां भट्टाचार्य (अलाउद्दीन खान के पहले छात्र) पं. इन्द्रनील(तिमिर बारां भट्टाचार्य के पुत्र) भट्टाचार्य, वसंत राय पंडित पन्नालाल घोष, पंडित निखिल बनर्जी (अलाउद्दीन खान के छात्रों) (अलाउद्दीन खान की अंतिम छात्र) बीसवीं शताब्दी| पहले उस्ताद अलाउद्दीन खां सब ने जब जीवन के 100 वर्ष पूर्ण किए तो मध्य प्रदेश कला परिषद ने उन्हें भोपाल में सम्मानित किया। मैहर की जनता भी लालायत थी अपने बाबा का सम्मान अपने मैहर में करने के लिए तत्कालीन उद्योग मंत्री श्री गोपाल शरण सिंह जी के कुशल मार्गदर्शन में शरद पूर्णिमा के दिन 1962 में यह आयोजन करने की जवाबदारी दीप चंद जैन को दी, कलाकार गुरु शिष्य परंपरा में घर पर ही रहते थे इस सम्मेलन कलाकारों अली अकबर, पंडित रवि शंकर, पंडित राम नारायण , पंडित शांता प्रसाद , निखिल बनर्जी पंडित उस्ताद , सरन रानी, एचडी डेबिट आदि।
उस्ताद अलाउद्दीन खाँ (1862 – 6 सितम्बर 1972) एक बहुप्रसिद्ध सरोद वादक थे साथ ही अन्य वाद्य यंत्रों को बजाने में भी पारंगत थे। वह एक अतुलनीय संगीतकार और बीसवीं सदी के सबसे महान संगीत शिक्षकों में से एक माने जाते हैं। सन् 1935 में पंडित उदय शंकर के बैले समूह के साथ खाँ साहब ने यूरोप का दौरा किया और इसके बाद काफी लंबे समय तक उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित ‘उदय शंकर इण्डिया कल्चर सेंटर’ से भी जुड़े रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने कई रागों की रचना की और विश्व संगीत जगत में विख्यात मैहर घराने की नींव रखी। उनकी सबसे खास रिकॉर्डिंग्स में से ऑल इण्डिया रेडियो के साथ 1950-60 के दशक में की गई उनकी रिकॉर्डिंग सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।मैहर दो बातों के लिए मशहूर है मां शारदा देवी के मंदिर और पद्म विभूषण उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खां की कर्मभूमि के रूप मे. बाबा अलाउद्दीन खां का जन्म 1862 मे हुआ था पूर्वी बंगाल में जो आज बांग्लादेश है.
माना जाता है कि वो मियाँ तानसेन की शिष्य परंपरा के अंग थे. उनके कई मशहूर शिष्यों में पंडित रविशंकर और अली अक़बर ख़ान जैसे कलाकार शामिल हैं. बाबा के परिवार में नौ पद्म सम्मान बाबा अलाउद्दीन खान पद्म भूषण पद्म विभूषण बाबा के पुत्र डॉ अली अकबर खान पद्म भूषण पद्म विभूषण बाबा की बेटी अन्नपूर्णा पद्मभूषण पद्म विभूषण बाबा के दामाद पंडित रविशंकर जी पद्मभूषण पद्म विभूषण एवं भारत रत्न
बाबा अलाउद्दीन खां की एक बड़ी उपलब्धि थी मैहर वाद्य वृंद का गठन
मैहर के महाराज बृजनाथ सिंह बीसवीं सदी की शुरुआत में उन्हें मैहर लाए थे. लेकिन बाबा जितना दरबार में बजाते थे उससे कहीं अधिक नियमित रूप से मां शारदा देवी के मंदिर में गाते थे. राजमाता कवितेश्वरी देवी द्वारा बताया गया कि बाबा अलाउद्दीन खां की एक बड़ी उपलब्धि थी मैहर वाद्य वृंद का गठन । बाबा अलाउद्दीन खां का घर उनकी सादा जीवन शैली और सर्वधर्म सरोकार का परिचय देता है. घर के दो नाम हैं-मदीना भवन और शांति